Tuesday, October 7, 2008

शर्म से डूब मरने की बात

शर्म से डूब मरने की ही तो बात है1 आतंककारी बम विस्फोट कर बेकसूरों की जान ले रहे हैं और एक नेता शहीद इंस्पेक्टर की भूमिका पर ही नही पूरी पुलिस के सिस्टम को गरिया रहा है ! आतंक की स्याही से भविष्य के भारत का चेहरा बिगाड़ने वाले आतंकी इन नेता की नजर में मासूम हो जाते हैं ! जिन्दगी की जदोजेहेद में जहाँ जख्म को भूल कर फिर से जीने की कोशिश शुरू की जा रही हो, वहां नेता के फिजूली बयान देने के इस शगल से कितनों को तकलीफ पहुँची होगी, पोरों पर गिनना बहुत मुशिकल है !
बावजूद इसके किसी को कोई फिक्र नही है, सब कुछ पुराने तोर तरीकों से ज्यों का त्यों जारी है! बयान देने के माहिर इस नेता का नाम अमर सिंह है! दो-तीन दिन नही देते तो हाजमा बिगड़ जाता है! फ़िर या तो उलटी होती है या फ़िर ....! वो कुछ भी कह सकते हैं, मीडिया में उनकी खास पहुँच है !
बिग बी के खास, अनिल अम्बानी के खास, मुलायम और इन दिनों तो सोनिया के भी खास हैं! ऐसे में चमडे की जीभ फिसल ही जाती है, जामिया नगर में पुलिस आतंकियों को ढेर करती है तो ये साहेब एक शहीद इंस्पेक्टर के बारे में कुछ भी बल देते हैं! मायावती के सताए, मति के मारे अमर सिंह को शहीद की बेवा ने माकूल जवाब तो दे दिया, लेकिन चिकने घडे पर शर्म का पानी टिके तो कैसे!