Wednesday, January 28, 2009

सच जो किसी को दिखता नहीं

शोहरत , नाम पर लगा गलतफहमियों का ढेर होता है जिसे भी यह मिली , बौरा सा गया , कोई कम तो कोई थोड़ा ज्यादा जिसे नहीं मिल पाई वो पूरे मनोयोग से जुटा है , उम्मीद पूरी होगी , उसे शायद यही मुगालता है अब पालने को कोई कुत्ता पलता है तो कोई मुगालता सब की अपनी - अपनी स्वतंत्रता की दुहाई है , सो सब पाल सकते हैं , कुत्ता भी और मुगालता भी



सो इन दिनों बहुत से लोग अपने- अपने मुगालते के साथ बाज़ार में हैं एक भीड़ सी है , जो लिखा सो छप गया है , इसलिए बड़े लेखक हो गये हैं लिटरेचर फेस्टिवल में जा कर आए हैं , इसलिए इनका लोहा तो मानना भी जरूरी है उनके पास बहुत से किस्से हैं , सुनाने को , बहुत से बड़े सेलिब्रिटी से वे मिल चुके हैं , इसलिए वे बता सकते हैं कि उनके बारे में ज्यादा तफसील से आप और हम अनपढ़ हैं , शायद इसलिए वे बता देते हैं किसी लेखक कि लिखी किताब के बारे में कि वह किताब कैसी रही , वे एक पाठक कि तरह नही बोलते , वे एक समीक्षक की तरह बताते हैं कि इतना बड़ा लेखक बेचारा कितनी गलती कर बैठा



ये सब हमारे इर्दगिर्द ही घूम रहे हैं , वे जो लिखते हैं , वो हमेशा अच्छा होता है इसके इसे ऐसे ऐसे भी ऐसे में जो कुछ लिखा जा रहा है वो घटिया है वो लिखते हैं इसलिए कि वो जो लिखते हैं छप जाता है , अच्छी बात हैं

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