बहुत दिनों से सोच रहा था, कुछ लिखूं ! बीच में लंबा ब्रेक हो गया, ब्लॉग कई दिनों से मेरा इंतजार कर रहा था, इसे तोड़ना था , सो फिर आ गया अपनी तनहाइयों को लेकर आप के पास ! बहुत कुछ है इस बार, लिखने के लिए ! मेरे कुछ और साथियों को भी मैंने ब्लॉग पर देखा, अच्छा लगा !
दुःख हुआ तो यह जानकर कि वे परेशां हैं , इसलिए कि उनके ब्लॉग पर कोई टिपिया नही रहा है ! इनमें से कुछ झूटी प्रशंसा के सहारे बड़े लेखक का रुतबा लिए शाम को किसी बार में अपने ही जैसे चंद लेखकों के साथ कोसते हुए मिल जाते हैं सिस्टम को , साथ ही दूसरे किसी लेखक कि खिल्ली उडाते हैं ! उनका यह नित्यकर्म जारी है ! वे लेखक हैं और उन जैसा कोई दूसरा तो हो ही नही सकता, इसी मुगालते में उन्होंने कुत्ता भी पाल लिया है !
कुँए के मेंडक , कुत्ते के साथ खूबसूरत नज़र आ रहे हैं ! अपने ही लोगों को ब्लॉग पर लिखे पर प्रतिक्रिया के बदले कुछ अच्छा बताने या प्रशंसा करने कि कह रहे हैं ! कितना गिर गये हैं दो बंदरों कि तरेह एक -दूसरे कि पीठ खुजला रहे हैं ! सब लेखक हैं इसलिए , यह सुब अच्छे से कर रहे हैं ! सबको पता है कि आज इसकी तो कल हमारी बारी है
हम धन्य हैं , हमारे ये नई पीढी के लेखक, बहुत अच्छा लिख रहे हैं ! अपने लिखे पर मंत्रमुग्द होने कि परम्परा को जिन्दा रखने कि कवायद में क्या कुछ नही करना पढ़ रहा है उन्हें ! अच्छा है लगे रहिये भगवन आपकी खूब सुने! कुछ नए जर्नलिस्ट तो मस्का लगाने के लिए अच्छी प्रतिक्रिया दे ही देंगे ! सच कबूल करना सीखिए साहेब , कुँए से निकलो , बाज़ार मैं आओ ताकि पता लग जाए , पतीली कितनी खली है , और भी लोग पढ़ना -लिखना जानते हैं , साक्षरता की रेट बढ़ गई है ! धन्यवाद पढ़कर गलियां जरूर बकें !
1 comment:
फिलहाल तो मैं टिपिया दूं। आपकी बात सच है। कई ब्लॉगर ऐसे हैं जो टिप्पणियों की बाट जोहते रहते हैं और यदि इसकी नियमित खुराक न मिले तो हतोत्साहित भी हो जाते हैं।
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